विख्यात अभिनेता कृष्ण निरंजन सिंह
या के एन सिंह का 31 जनवरी 2000 को मुंबई में निधन हुआ था, ये एक मशहूर क्रिमिनल लॉयर के बेटे थे
ये भी वकील बनना चाहते थे लेकिन एक बार देखा उनके पिता ने जिरह करके एक अपराधी को फांसी की सज़ा से बचा लिया तभी से के एन सिंह का मन वकील बनने से उचट गया।
फिर ये सेना में जाना चाहते थे
काफी अच्छे खिलाड़ी थे छै फीट दो इंच लंबे हट्टे कट्टे थे
भाला फेंक और गोला फेंक में इनका चयन हुआ था 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में हिस्सा लेने के लिए
वैसे समय समय पर कई खिलाड़ी फिल्मों में आते रहे
जानकीदास विख्यात साइकिलिस्ट थे जो कई बार विदेश साइकिल रेस में जाते थे और आज़ादी के पहले स्विट्जरलैंड में साइकिल रेस जीतकर वहीं तिरंगा झंडा फहरा दिया था
शोभा खोते भी साइकिलिस्ट थी
डेविड बॉक्सिंग में विश्व स्तर के रेफरी थे
बाद में महाभारत फेम प्रवीण कुमार आए जिन्होंने शायद चार बार डिस्कस थ्रो में एशियाड में हिस्सा लिया था
कुछ साल पहले नाना पाटेकर का राष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिता में राइफल शूटिंग के लिए चयन हुआ था,ट्रायल में बाहर हो गए
दिलीप कुमार और मजरूह सुल्तानपुरी बढ़िया फुटबाल खेलते थे
मजहर खान और सनी देओल काफी अच्छा स्क्वैश खेलते थे
कई क्रिकेट खिलाड़ी समय समय पर फिल्मों में आए
किन्तु बात के एन सिंह जी की थी जिनका चयन बर्लिन ओलिंपिक में हिस्सा लेने के लिए 1936 में हुआ लेकिन उसी समय इनकी बहन की तबियत बहुत खराब होने के कारण उन्हें बहन का ख्याल रखने के लिए कलकत्ता जाना पड़ा
वहां ये बचपन के दोस्त कुंदन लाल सहगल से मिलने स्टूडियो गए जो तब एक स्टार थे
के एन सिंह झिझक रहे थे लेकिन उनको देखते ही सहगल दौड़कर आए और गले लगा लिया
वहीं उनकी मुलाकात पृथ्वीराज कपूर से हुई जो उनके पिता के मित्र थे
पृथ्वीराज ने के एन सिंह को निर्देशक देवकी बोस से मिलवाया
देवकी बोस ने उन्हें फिल्म सुनहरा संसार में अभिनय का मौका दिया लेकिन 1938 में रिलीज हुई फिल्म बागबान हिट हुई और के एन सिंह एक हीरो के रूप में फिल्मों में स्थापित हो गए
कुदरत ने उन्हें गरजदार आवाज दी थी, भाव भंगिमाओं को खास आकार देने की शैली उन्होंने खुद विकसित की और इन दो चीजों के मेल ने भारतीय फ़िल्म जगत को बेमिसाल खलनायक दिया। बिना और चीखे चिल्लाए बग़ैर केएन सिंह भय और घृणा की भावना दर्शकों के मन में पैदा कर देने का हुनर रखते थे
अपने साथी कलाकारों पृथ्वी राज, कुंदनलाल सहगल, मजहर खान, जयराज,मोती लाल आदि के साथ परिवार की तरह रहने वाले केएन ने अभिनेता पी जयराज और लेखक निर्देशक पीएल संतोषी की शादी खुद करवायी।
कहते हैं शूटिंग के दौरान दुर्घटनावश इन्हीं के एक थप्पड़ से ललिता पवार की एक आंख खराब हो गई
के एल सहगल से इनकी दोस्ती बहुत पुरानी थी जब दोनों फिल्म में काम नहीं करते थे
कलकत्ता में बहुत सारे काम किए
चाय बागान में काम करने वाले लोगों के लिए नए जूते डिजाइन करके सप्लाई किए
सेना को खुखरी सप्लाई की
बासमती चावल बेचे
जंगली खतरनाक जानवर पकड़े और पाले बाद में उन्हें राजा नवाब को बेच देते थे
रुड़की में स्कूल खोला
के एन सिंह ही वो आखिरी फिल्म अभिनेता थे जिन्होंने के एल सहगल से आखिरी मुलाकात की जब जनवरी 1947 को सहगल ट्रेन से जम्मू जा रहे थे और के एन सिंह उन्हें स्टेशन छोड़ने आए थे
फिर सहगल वापस नहीं आए उनका निधन हो गया
के एन सिंह ने कहा
रुखसत के वक़्त के वो वाकयात याद हैं मुझे
देखा किए उन्हें हम जहां तक नजर गई
(1 सितंबर 1908, देहरादून--- जनवरी 2000, मुम्बई
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