Friday, December 18, 2020

Ganga Jamna (1960)



1961  में प्रदर्शित दिलीप कुमार की ब्लॉक बस्टर फिल्म "गंगा जमना" किसी परिचय की मोहताज नहीं है

फिल्म के सभी गीत बेमिसाल एक से एक बढ़कर सुपर हिट गीत थे नौशाद साहब का संगीत लाजवाब था
और इस फिल्म के सभी गीत शकील बदायू ने लिखे थे और गीतों को अपने स्वर से सजाया था "लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले और एक गीत हेमंत कुमार" की आवाज़ में भी था  

आज हम बात करेंगे इस फिल्म के उस गीत की जिसके बोल किसी वजह से बदल दिए गए थे गीत के बोल थे "न मानु न मानु न मानु दग़ाबाज़ तोरी बतिया न मानु रे" इस गीत में एक आन्तरा था हमरी गरज को मुख से न बोले अपनी गरज को लगाये लिये छातियां इस फिल्म के LP रिकॉर्ड पर तो यह अंतरा उपलब्ध है लेकिन वीडियो में इस अन्तरे को बदल दिया गया जो इस तरह है हमरी गरज को मुख से न बोले अपनी गरज को मिलाये लिए अँखियाँ तो अब आप इस गीत को सुनिए और मज़ा लीजिये 

इस गीत के दोनों version नीचे दिए गए link पर उपलब्ध हैं  



संगीतकार : नौशाद अली
गीतकार : शकील बदायुनी
म्यूजिक लेबल : 
रिलीज़ डेट : 8 दिसंबर 1961

गीत

दग़ाबाज़ टोरी बतियाँ न मानु रे....लता मंगेशकर
ढूंढो ढूंढो रे साजना मेरे कान का बाला... लता मंगेशकर
दो हंसो का जोड़ा बिछड़ गया रे....लता मंगेशकर
झनन झनन घुँघरू बाजे....लता मंगेशकर
नैन लड़ जाइये रे तो मनवा माँ कत्थक .... मोहम्मद रफ़ी, साथी
ओ  छलिया रे छलिया.... रफ़ी, आशा भोसले
तोरा  मन बड़ा पापी... आशा भोसले
इन्साफ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के....हेमंत कुमार
(1961 में इस फिल्म के संगीत के लिये नौशाद साहब को बेस्ट फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था )

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