Sunday, December 20, 2020

Vijayta Pandit

 


मशहूर अभिनेता और फिल्म निर्देशक राजेन्द्र कुमाप 1980 में अपने बेटे कुमार गौरव के बॉलीवुड में डेब्यू की तैयारी कर रहे थे और वह उनके अपोजिट किसी नए चेहरे को लेना चाहते थे। 

विजेता को कुमार गौरव के अपोजिट कास्ट किया गया, विजेता पंडित की डेब्यू फिल्म ‘लव स्टोरी’ 1981 में रिलीज हुई, जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट रही। 1981 में बनी फिल्म ‘लव स्टोरी’ से बॉलीवुड एक्टर कुमार गौरव के साथ डेब्यू किया था।

विजेता पंडित ने 15 से ज्यादा फिल्मों में काम किया।
इसके बाद विजेता ने फिल्म ‘जीते है शान से’, ‘दीवाना तेरे नाम का,‘जलजला’ और ‘प्यार का तूफान’ में लीड रोल निभाया । विजेता ने अपने 9 साल के फिल्मी करियर में 15 से ज्यादा फिल्मों में बेहतरीन अदाकारी की। फिल्म  लव स्टोरी की शूटिंग के दौरान विजेता और कुमार गौरव एक दूसरे से प्यार करने लगे थे और शादी करना चाहते थे। लेकिन इस शादी के खिलाफ कुमार गौरव के पिता राजेंद्र कुमार थे।
दोनों परिवार के खिलाफ जाकर शादी नहीं करना चाहते थे इसलिए दोनों ने अपने रास्ते अलग कर लिए और एक दूसरे से अलग हो गए इसके बाद 1984 में राजेंद्र कुमार ने कुमार गौरव की शादी सुनील दत्त की बेटी नम्रता से कराई।



कुमार गौरव के साथ ब्रैकअप के बाद विजेता ने 4 सालों तक घर पर समय बिताया ।  इसके बाद 1985 में बनी फिल्म ‘मोहब्बत’ और ‘मिसाल’ से कमबैक किया हालांकि कमबैक के बाद उनको फिल्मों में सफलता मिलना कम हो गया।1986 में बनी फिल्म ‘कार थीफ’ में विजेता का पहली बार परदे पर बोल्ड अवतार देखने को मिला। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप साबित हुई। इस फिल्म के निर्देशक समीर माकलन के साथ ही इसी साल उन्होंने शादी की।

विजेता एक प्रसिद्ध संगीतज्ञ परिवार से ताल्लुक रखती हैं. इसलिए उन्होंने एक्टिंग के साथ गायिकी भी की। विजेता पंडित का जन्म मुंबई के जाने माने संगीत घराने में 25 अगस्त 1967 को हुआ इनके पिता का नाम प्रताप नरेन पंडित है, जो जाने-माने संगीतकार हुआ करते थे। पंडित जसराज विजेता पंडित के चाचा है।

ये सात भाई-बहन सुलक्षणा पंडित, ललित पंडित, संध्या पंडित, मनधीर पंडित, जतिन पंडित और माया पंडित हैं. इनकी बहन सुरक्षणा पंडित भी 1975 से 1988 तक के दौर की बॉलीवुड की बेहतरीन अदाकारा हुआ करती थीं और भाई ललित और जतिन पंडित बॉलीवुड के जाने माने संगीतकार हैं विजेता पंडित अपनी डेब्यू फिल्म ‘लव स्टोरी’ के एक्टर कुमार गौके साथ अपने लिंकअप को लेकर भी चर्चाओं में रहीं  लेकिन कुमार गौरव और विजेता की शादी नहीं हो सकी। कुमार गौरव से  ब्रेकअप के बाद उन्होंने 1986 में फिल्म निर्देशक समीर मालकन से शादी की।

उनकी यह शादी ज्यादा समय तक नहीं चल सकी और आपसी मतभेद होने की वजह से विजेता ने 1988 में तलाक ले लिया। भाईयों के संगीत से जुड़े होने की वजह से मशहूर गीतकार आदेश श्रीवास्तव का विजेता के घर पर आना जाना होता था और वह ललित और जतिन पंडित के बहुत अच्छे दोस्त भी हुआ करते थे इसलिए तलाक के बाद विजेता ने 1990 में आदेश श्रीवास्तव से शादी की। इनसे इन्हें दो बेटे अनिवेश श्रीवास्तव और अवितेश श्रीवास्तव हुए।

पति आदेश श्रीवास्तव की मौत के बाद विजेता आर्थिक परेशानी झेल रही हैं। पति आदेश श्रीवास्तव के बकाया पैसो के लिए इधर उधर भटक रही है। साल 2015 में कैंसर की वजह से आदेश श्रीवास्तव की मौत हो गई । विजेता पर दो बेटों के परवरिश की जिम्मेदारी हैं। आर्थिक तंगी से वो इस कदर घिर गई हैं कि उन्हें अपनी कार तक बेचनी पड़ी।







Friday, December 18, 2020

K N Singh

 विख्यात अभिनेता कृष्ण निरंजन सिंह
या के एन सिंह का 31 जनवरी 2000 को मुंबई में निधन हुआ था, ये एक मशहूर क्रिमिनल लॉयर के बेटे थे

ये भी वकील बनना चाहते थे लेकिन एक बार देखा उनके पिता ने जिरह करके एक अपराधी को फांसी की सज़ा से बचा लिया तभी से के एन सिंह का मन वकील बनने से उचट गया।

फिर ये सेना में जाना चाहते थे

काफी अच्छे खिलाड़ी थे छै फीट दो इंच लंबे हट्टे कट्टे थे

भाला फेंक और गोला फेंक में इनका चयन हुआ था 1936 के बर्लिन ओलिंपिक में हिस्सा लेने के लिए


वैसे समय समय पर कई खिलाड़ी फिल्मों में आते रहे

जानकीदास विख्यात साइकिलिस्ट थे जो कई बार विदेश साइकिल रेस में जाते थे और आज़ादी के पहले स्विट्जरलैंड में साइकिल रेस जीतकर वहीं तिरंगा झंडा फहरा दिया था

शोभा खोते भी साइकिलिस्ट थी

डेविड बॉक्सिंग में विश्व स्तर के रेफरी थे

बाद में महाभारत फेम प्रवीण कुमार आए जिन्होंने शायद चार बार डिस्कस थ्रो में एशियाड में हिस्सा लिया था

कुछ साल पहले नाना पाटेकर का राष्ट्रीय शूटिंग प्रतियोगिता में राइफल शूटिंग के लिए चयन हुआ था,ट्रायल में बाहर हो गए

दिलीप कुमार और मजरूह सुल्तानपुरी बढ़िया फुटबाल खेलते थे

मजहर खान और सनी देओल काफी अच्छा स्क्वैश खेलते थे

कई क्रिकेट खिलाड़ी समय समय पर फिल्मों में आए



किन्तु बात के एन सिंह जी की थी जिनका चयन बर्लिन ओलिंपिक में हिस्सा लेने के लिए 1936 में हुआ लेकिन उसी समय इनकी बहन की तबियत बहुत खराब होने के कारण उन्हें बहन का ख्याल रखने के लिए कलकत्ता जाना पड़ा

वहां ये बचपन के दोस्त कुंदन लाल सहगल से मिलने स्टूडियो गए जो तब एक स्टार थे

के एन सिंह झिझक रहे थे लेकिन उनको देखते ही सहगल दौड़कर आए और गले लगा लिया


वहीं उनकी मुलाकात पृथ्वीराज कपूर से हुई जो उनके पिता के मित्र थे

पृथ्वीराज ने के एन सिंह को निर्देशक देवकी बोस से मिलवाया

देवकी बोस ने उन्हें फिल्म सुनहरा संसार में अभिनय का मौका दिया लेकिन 1938 में रिलीज हुई फिल्म बागबान हिट हुई और के एन सिंह एक हीरो के रूप में फिल्मों में स्थापित हो गए

कुदरत ने उन्हें गरजदार आवाज दी थी, भाव भंगिमाओं को खास आकार देने की शैली उन्होंने खुद विकसित की और इन दो चीजों के मेल ने भारतीय फ़िल्म जगत को बेमिसाल खलनायक दिया। बिना और चीखे चिल्लाए बग़ैर केएन सिंह भय और घृणा की भावना दर्शकों के मन में पैदा कर देने का हुनर रखते थे

अपने साथी कलाकारों पृथ्वी राज, कुंदनलाल सहगल, मजहर खान, जयराज,मोती लाल आदि के साथ परिवार की तरह रहने वाले केएन ने अभिनेता पी जयराज और लेखक निर्देशक पीएल संतोषी की शादी खुद करवायी।


कहते हैं शूटिंग के दौरान दुर्घटनावश इन्हीं के एक थप्पड़ से ललिता पवार की एक आंख खराब हो गई

के एल सहगल से इनकी दोस्ती बहुत पुरानी थी जब दोनों फिल्म में काम नहीं करते थे

कलकत्ता में बहुत सारे काम किए

चाय बागान में काम करने वाले लोगों के लिए नए जूते डिजाइन करके सप्लाई किए

सेना को खुखरी सप्लाई की

बासमती चावल बेचे

जंगली खतरनाक जानवर पकड़े और पाले बाद में उन्हें राजा नवाब को बेच देते थे

रुड़की में स्कूल खोला

के एन सिंह ही वो आखिरी फिल्म अभिनेता थे जिन्होंने के एल सहगल से आखिरी मुलाकात की जब जनवरी 1947 को  सहगल ट्रेन से जम्मू जा रहे थे और के एन सिंह उन्हें स्टेशन छोड़ने आए थे

फिर सहगल वापस नहीं आए उनका निधन हो गया


के एन सिंह ने कहा

रुखसत के वक़्त के वो वाकयात याद हैं मुझे

देखा किए उन्हें हम जहां तक नजर गई


(1 सितंबर 1908, देहरादून--- जनवरी 2000, मुम्बई




Ganga Jamna (1960)



1961  में प्रदर्शित दिलीप कुमार की ब्लॉक बस्टर फिल्म "गंगा जमना" किसी परिचय की मोहताज नहीं है

फिल्म के सभी गीत बेमिसाल एक से एक बढ़कर सुपर हिट गीत थे नौशाद साहब का संगीत लाजवाब था
और इस फिल्म के सभी गीत शकील बदायू ने लिखे थे और गीतों को अपने स्वर से सजाया था "लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले और एक गीत हेमंत कुमार" की आवाज़ में भी था  

आज हम बात करेंगे इस फिल्म के उस गीत की जिसके बोल किसी वजह से बदल दिए गए थे गीत के बोल थे "न मानु न मानु न मानु दग़ाबाज़ तोरी बतिया न मानु रे" इस गीत में एक आन्तरा था हमरी गरज को मुख से न बोले अपनी गरज को लगाये लिये छातियां इस फिल्म के LP रिकॉर्ड पर तो यह अंतरा उपलब्ध है लेकिन वीडियो में इस अन्तरे को बदल दिया गया जो इस तरह है हमरी गरज को मुख से न बोले अपनी गरज को मिलाये लिए अँखियाँ तो अब आप इस गीत को सुनिए और मज़ा लीजिये 

इस गीत के दोनों version नीचे दिए गए link पर उपलब्ध हैं  



संगीतकार : नौशाद अली
गीतकार : शकील बदायुनी
म्यूजिक लेबल : 
रिलीज़ डेट : 8 दिसंबर 1961

गीत

दग़ाबाज़ टोरी बतियाँ न मानु रे....लता मंगेशकर
ढूंढो ढूंढो रे साजना मेरे कान का बाला... लता मंगेशकर
दो हंसो का जोड़ा बिछड़ गया रे....लता मंगेशकर
झनन झनन घुँघरू बाजे....लता मंगेशकर
नैन लड़ जाइये रे तो मनवा माँ कत्थक .... मोहम्मद रफ़ी, साथी
ओ  छलिया रे छलिया.... रफ़ी, आशा भोसले
तोरा  मन बड़ा पापी... आशा भोसले
इन्साफ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के....हेमंत कुमार
(1961 में इस फिल्म के संगीत के लिये नौशाद साहब को बेस्ट फिल्म फेयर अवार्ड के लिए नामांकित किया गया था )

Rafi Saheb Ka Jalwa



ईडन  गार्डन कलकत्ता में एक कार्येक्रम था

इस प्रोग्राम में रफ़ी साहेब, किशोर कुमार, R D बरमन और आशा भोसले प्रोग्राम पेश करने वाले थे इस प्रोग्राम के संचालक थे अमीन सायानी और मनोहर महाजन लेकिन रफ़ी साहेब के एंकर उस समय शाहिद बिजनोरी हुआ करते थे 

शहीद बिजनोरी स्टेज पर आये और रफ़ी का तारुफ़ करने लगे उसी समय स्टेडियम में कुछ हल्ला गुल्ला होने लगा तो शहीद बिजनोरी के मुंह से निकल गया "अगर आप शांत नहीं बैठेंगे तो रफ़ी साहब तशरीफ़ नहीं लाएंगे" इतना सुनना था की पब्लिक बे काबू हो गयी और सिक्कों की बौछार करने लगी 

और मामला काफी गरम हो गया तो मनोहर महाजन ने किसी तरह इस मांमले को किसी तरह संभाला और फिर प्रोग्राम आगे बढ़ा इस के बाद किशोर कुमार का प्रोग्राम हुआ 

तो यह था हमारे रफ़ी साहेब का क्रेज़ I


यह लेख रेडिओ सीलोन के वरिष्ठ एंकर मनोहर महाजन के एक इंटरव्यू लिया गया है


Thursday, December 12, 2019

Aapke sath (1986)


1986 में प्रदर्शित फिल्म "आपके साथ" म्यूजिकल हिट फिल्म थी जिसके गीत एक से एक लाजवाब
इस फिल्म में लता मंगेशकर, मोहम्मद अज़ीज़, शब्बीर कुमार सलमा आगा और अनुराधा पौडवाल ने अपनी आवाज़ दी थी ।

इस फिल्म के दो गीत बाद में Dubb कर दिए गए पहला शब्बीर कुमार और अलका याग्निक का गाया हुआ और दूसरा अनुराधा पौडवाल का गया हुआ जिस के जानकारी हम यहां दे रहे हैं ।

आइये जानते हैं उस गीत के बारे में ।

संगीतकार : लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
गीतकार : आनंद बक्शी
Music Label : T-Series / SFLP - 1078 SCI
Release Date : 4 March 1986
Songs


  1. जींद ले गया वो दिल का जानी ...लता मंगेशकर (Dubbed)
  2. मेरा नाम सलमा सलमा सलमा ....सलमा आगा, साथी 
  3. बहके बहके यह जज़्बात कुंवारी रात ...मोहम्मद अज़ीज़, अनुराधा पौडवाल  (Dubbed)
  4. आने वाले साल को सलाम...शब्बीर कुमार, साथी  
  5. चाँद छुपता है सूरज निकलता है .... शब्बीर कुमार, अरुणा ईरानी 




Original Songs)

  1. जींद ले गया वो दिल का जानी ....अनुराधा पौडवाल 
  2. बहके बहके यह जज़्बात कुंवारी रात.... शब्बीर कुमार, अलका याग्निक 


Maina (Unrelease)

मैना (अप्रदर्षित)

1992 में गुलशन कुमार द्वारा एक फिल्म "मैना" का महूरत होता है यह वही दौर था जब हिंदी फिल्मो में हिट गीतों की बाढ़ सी लगी हुई है और गीतों के बल पर नए नए होरो की एंट्री भी धूम धाम से हो रही है ये बात अलग है की वो किसी भी तरह हीरो मटेरियल नहीं लगते थे इन्ही में से एक थे गुलशन कुमार के छोटे भाई किशन कुमार और इस फिल्म के गीत T- Series Audeo Cassatte पर रिलीज़ कर दिए जाते हैं, हिट नहीं हो पाते आगे इस फ़िल्म का क्या होता है यह कुछ पता नहीं चल सका। 

इस फिल्म के गीतों को आवाज़ दी थी अनुराधा पौडवाल (यह T-Series की घरेलु गायिका हैं ) विपिन सचदेवा (जो की मोहम्मद रफ़ी द्वारा गाये गीतों को रि रिकॉर्ड के लिए मशहूर हैं इनको भी का घरेलु गायक कह सकते हैं) पंकज उधास (जोकि सिर्फ ग़ज़लों के लिए मशहूर हैं ) सुरेश वाडेकर (अपने दौर के टॉप गायकों में एक) और गुमनाम गायक मंगल सिंह (इनके खाते मैं सिर्फ एक ही हिट गीत हैं। 

इस फिल्म के गीतों का विवरण इस प्रकार है 
संगीतकार : नरेश शर्मा 
गीतकार : समीर
Release Date (अपारदर्षित)
Music Label : T-Series

Songs
  1. किसी को छाहू तुम्हारे सिवा खुदा न करे, हो और भी कोई दिल का खुदा खुदा  करे ... अनुराधा पौडवाल 
  2. जुड़ा होके  तुमसे किधर जाएंगे, जुदाई में रो रोके मर जाएंगे   ... विपिन सचदेवा 
  3. सांझ सवेरे तू याद आये, देखूं तुझे तो चैन आ जाए .... सुरेश वाडेकर, अनुराधा  
  4. यह दिन और यह रातें प्यार भरी ये बातें, हम न भुला पाए तुम न भुला पाओगे .... सुरेश वाडेकर, अनुराधा 
  5. तुम मेरी जान हो जीना है तुम्ही से मेरा, जाओगे तुम तो मेरी जान चली जायेगी  .... अनुराधा पौडवाल
  6. मेरा शायर है तू मेरा नग़मा है तू , में जन्नत है तू मेरी दुनिया है तू ....पंकज उधास , अनुराधा पौडवाल
  7. प्यार किसी से कब होता है, जब होना है तब होता है, प्यार का मतलब रब होता है  ...विपिन सचदेवाअनुराधा पौडवाल
  8. कहो सजना मेरे बिन तुम कैसे रहे, कितने दुःख तुम कैसे सहे   ...अनुराधा पौडवाल, आबिद खान 
  9. तुम जान हो दिल हो मोहब्बत हो वफ़ा तुम हो, कुर्बान दिल तुम पर मेरे दिल के खुदा तुम हो.... .अनुराधा पौडवाल
  10. तुम जान हो दिल हो मोहब्बत हो वफ़ा तुम हो, कुर्बान दिल तुम पर मेरे दिल के खुदा तुम हो....मंगल सिंह 
(लेकिन इस फिल्म में एक गीत ऐसा भी था, जो उस वक के नंबर एक गायक मोहम्मद अज़ीज़ ने गाया था, लेकिन न जाने किस कारण इस गीत को न सिर्फ गीतों के कैसेट में शामिल न किया गया बल्कि विपिन सचदेवा की आवाज़ से रिप्लेस भी कर दिया गया)

आइये  जानते हैं उस गीत के बारे में 


(Song)

प्यार किसी से कब होता है, जब होना है तब होता है, प्यार का मतलब रब होता है  ...मोहम्मद अज़ीज़ अनुराधा पौडवाल



(आपके कमेंट के इंतज़ार है अगर ऐसा कोई गीत हो आप कमेंट बॉक्स में शेयर कर सकते हैं)



Dil (1990)


1990 में प्रदर्शित फिल्म "दिल" के सभी गीत सुन्दर बन पड़े हैं चाहे वो देखने में हों या सुनने में फिल्म तो सुपर हिट थी ही लेकिन गीत एक से एक लाजवाब, सभी गीत उदित नारायण और अनुराधा पौडवाल ने गाये थे

लेकिन उदित नारायण और अलका याग्निक का गाया हुआ एक गीत सुरेश वाडेकर और अनुराधा पौडवाल से रिप्लेस करा लिया गया

आइये जानते हैं उस गीत के बारे मैं

संगीतकार : आनंद मिलिंद
गीतकार : समीर
Release Date 22 June 1990
Music Label : T-Series / SFCD 1/86

Songs
  1. मुझे नींद न आये मुझे चैन न आये*.... उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल 
  2. हम प्यार करने वाले दुनिया से न डरने वाले ... उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल 
  3. हम ने घर छोड़ा है रस्मो को तोडा है.... उदित नारायण, साधना सरगम 
  4. खम्बे जैसी खडी है। .... उदित नारायण, साथी 
  5. दम दमा दम  .... उदित नारायण ,  अनुराधा पौडवाल, साथी
  6. ओ प्रिया प्रिया क्यों भुला दिया **....सुरेश वाडेकर , अनुराधा पौडवाल
  7. सांसें तेरी ...साधना सरगम  
(इस इस फिल्म के गीतों के लिए आनंद मिलिंद को बेस्ट म्यूजिक के लिए, सुरेश वाडेकर** को "ओ  प्रिया प्रिया "के लिए, अनुराधा पौडवाल* को "मुझे नींद न आये" के लिए, समीर* को "मुझे नींद न आये" के लिए नामांकित भी किया गया था )
(Dubbed Song)

  1. ओ प्रिया प्रिया क्यों भुला दिया ....उदित नारायण, अलका याग्निक